Wednesday, 3 July 2013

सोना बनाना सहज सम्भव है.

           

            सोना बनाने का रहस्य 


          यह सौभाग्य की बात है कि, आज आपको नेट के जरिए सोना बनाने का आसान रहस्य बताया जा रहा है. इसके आधार पर कोई भी व्यक्ति विभिन्न सामग्रियां जुटाकर, पूरे आत्मविश्वास के साथ अपनी हाथों से जितना चाहें शुद्ध सोने का निर्माण अपने घर में ही कर सकता है. 
          
          दुनिया में कुछ भी नामुमकिन नहीं है. नामुमकिन उनके लिए है जो हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं. या जो बड़े-बड़े ख्वाब देखते रहते हैं तथा ख्याली पुलाव के बारे में सोंचते रहते है. किन्तु आज मैं स्वर्ण निर्माण की चर्चा भी कर रहा हूँ और बनाने की तकनीक भी समझा रहा हूँ. आप थोड़ा हैरान, थोड़ा उत्सुक जरुर हो सकते हैं परन्तु यह हैरान होने का विषय नहीं है. बस आप इसे पहले ध्यान से समझ लें .  
          
          आज भी कई ऐसे नाम गिनाए जा सकते हैं जो पूर्वकाल में स्वर्ण निर्माण के क्षेत्र में विख्यात रहे है.  इनके नाम क्रमसः इस प्रकार से है. प्रभु देवा जी, व्यलाचार्य जी, इन्द्रधुम जी, रत्न्घोष जी इत्यादि स्वर्ण विज्ञान के सिद्ध योगी रहे हैं.  अपने आप में ये पारद सिद्ध योगी माने जाते रहे हैं. प्राचीन ग्रंथों में स्पष्ट चर्चा है. किन्तु भारतीय एक नाम है नागार्जुन का, जो स्वर्ण विज्ञानी के रूप विख्यात रहे है.  
          
          आज भी भारत वर्ष के सुदूर प्रान्तों में. इसके जानकार योगी, साधक हो सकते हैं जो सोना बनाने का दुर्लभ ज्ञान रखते हैं. ऐसे ही नामों में अद्भुत और पवित्र एक नाम है, पूज्य श्री नारायण दत्त श्रीमाली जी . जो १३  जुलाई  सन् १९९८  को इच्छा मृत्यु प्राप्तकर सिधाश्रम प्रस्थान कर गये. किन्तु अपने पीछे अनेक दीपक रोशन कर  छोड़ गए हैं, जो जहाँ भी है समाज कल्याण करने में  सक्षम और निरंतर कार्यशील है. 
          
          जैसाकि विभिन्न विधियों से स्वर्ण निर्माण की चर्चा होती आई है तथा पूर्व समय में कई रसाचार्यों ने समाज के सामने सोने का निर्माण करके चकित कर दिया. ६ नवम्बर सन १९८३ ई० साप्ताहिक हिंदुस्तान के अनुसार  सन १९४२ ई० में पंजाब के कृष्णपाल शर्मा ने ऋषिकेश में मात्र ४५  मिनट में पारा से दो सौ तोला सोने का निर्माण करके सबको आश्चर्य में डाल दिए. उस समय वह सोना ७५ हजार रूपए में बिका, वह धनराशि दान कर दी गई. 
          
          उस समय वहां महात्मा गाँधी, उनके सचिव श्री महादेव देसाईं, तथा श्री युगल किशोर बिड़ला जी उपस्थित थे. इससे पहले २६ मई सन १९४० में भी कृष्णपाल शर्मा ने दिल्ली के बिड़ला हॉउस में पारे को शुद्ध  सोने में बदलकर दिखा दिया था. उस समय भी वहा विशिष्ट गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे. और आज भी इस घटना का उल्लेख बिडला मंदिर में लगे शिलालेख पर मिलता है. 
   
         नागार्जुन का नाम तो स्वर्ण विज्ञानी के रूप में खासा प्रसिद्ध रहा है. उन्हें तो पारा से सोना बनाने में महारत हासिल थी. उनके लिखे कई महत्वपूर्ण ग्रन्थ मौजूद है. जिनका अध्ययन करके पारे के दवारा अपनी हाथों से सोना कोई भी बना सकता है. नागार्जुन एक अति विशिष्ट व्यक्तित्व रहे हैं, नागार्जुन के जीवन  की  संघर्ष कथा किसी अगले पोस्ट में जरुर दूंगा.    
    
         अब मैं स्वर्ण निर्माण के चर्चे पर आता हूँ जिसे सिख समझकर आप भी उत्साहपूर्वक अपनी हाथों से सोना बनाएं. यह विधि त्रिधातु पात्र विधि कही जाती है. इसके लिए तीन अलग अलग धातुओं को मिलाकर पहले एक कटोरानुमा बर्तन तैयार किया जाता है.  इस बर्तन को स्वर्ण पात्र भी कहते है. 

निर्माण विधि -
      
          अर्थात लोहा 500 ग्राम, पीतल 500 ग्राम, और कांसा 500 ग्राम, तीनों धातु शुद्ध हो, सही हो ध्यान रखें. तीनों धातुओं को अलग-अलग पिघलाएं तथा पिघल जाने पर उन्हें आपस में मिक्स करते हुए किसी कटोरे या कढाई का रूप दे दें. ध्यान रहे उस बर्तन में कहीं छेद न हो और मात्रा सही हो. ऐसा बरतन बनाने में दिक्कत हो तो किसी बनाने वाले से बनवा लें. बरतन बन जाने के बाद उसे रख लें और बाजार में किसी विश्वसनीय पंसारी की दुकान से 200 ग्राम गंधक, 200 ग्राम नीला थोथा (तुतिया),  200 ग्राम नमक और 200 ग्राम कुमकुम (रोली) तथा रससिंदूर खरीदें साथ ही विश्वसनीय स्थान से ही 100 ग्राम शुद्ध पारा और शहद खरीद लें. ध्यान रहे- गंधक को सभी जानते हैं . नीला थोथा जिसे तुतिया भी कहते हैं .यह नीले रंग में पूरी तरह जहर होता है . 
          
          अब सभी सामग्रियां इकट्ठी करके गंधक, नीला थोथा, नमक और रोली अलग अलग कूट-पीसकर आपस में मिलादें और एक किलो ताजे पानी में इसे घोल दें. इसके बाद चूल्हे या स्टोव पर आग जलाए और त्रिधातु बर्तन में गंधक, नीला थोथा, नमक और रोली वाले मिश्रण को डालकर धीमी आंच पर पकने दें. जब पानी उबलने लगे तो 100 ग्राम पारा को रससिंदूर में अच्छी तरह घोंटे. फिर उसकी गोली बनायें और उसके ऊपर शहद चिपोड़ दें. अब उसे खौलते पानी (सामग्रियों) के बीच धीरे से रखें. जब दो तिहाई भाग पानी जल जाए तो बीच में पक रहे गोले पर ध्यान दिए रहें जो हल्का-हल्का सुनहलापन होना शुरू होगा. जब वह पूरी तरह सुनहला दिखने लगे तब बर्तन को नीचे उतार लें. आपके परिश्रम की बदौलत शुद्ध सोने का निर्माण हो चुका होगा,  श्रद्धा पूर्वक उसका नमन करे.  

सावधानियां -

१- नीला थोथा शुद्ध रूप से जहर है, इसे छुने के बाद हर बार हाथ धो लिया करें. 
२- गंधक भी कुछ इसी प्रकार का पदार्थ होता है, छुने के बाद हाथ धोलें .
३- पारा अति चंचल द्रव्य होता है, जमीन पर उसे गिरने से बचाएं.
४- सामग्री पकाते समय आँखों को किसी विशेष चश्मे से ढका हुआ रखें.

          इस प्रकार सामग्री की शुद्धता और सावधानियों को ध्यान में रखकर पारद यानी पारा के द्वारा स्वर्ण बनाया जाता है. आप पूरे आत्मविश्वास के साथ सोने का निर्माण कर सकते हैं. हमारी मंगल कामना आपके साथ है. 

          भारत वर्ष का सौभाग्य है कि, यहाँ एक दो नहीं, स्वर्ण बनाने की अनेकों विधियाँ पूर्व संयोजित है. संतों और ऋषियों की कृपा ही है जो अनमोल थाती के रूप में इस देश को सौंप गए हैं तथा ऐसे दिव्य ज्ञान प्राप्त करके भी कोई गरीबी और निर्धनता का रोना रोए तो इसे महा दुर्भाग्य ही माना जाएगा.
          इस लेख के पाठकों को सलाह है,- प्रस्तुत स्वर्ण निर्माण विधि प्रमाणिक विधि है. स्वर्ण निर्माण में रूचि लेने वाले बंधुओं को निर्देश का पालन करते हुए प्रयोग करना चहिये. सामग्रियां शुद्ध व् सही  हो. निर्माण विधि और निर्माण समय भी महत्व रखता है. यदि पहली बार में सफलता न मिले तो कहीं न कहीं त्रुटी जरुर मानिये. आप दूसरी बार  प्रयास कीजिये, तीसरी बार कीजये. क्योंकि जो सच है उसे प्रकट होना ही है. विश्व विख्यात स्वर्ण विज्ञानी नागार्जुन १७ वर्ष की उम्र में ही घर परिवार के मोह बंधन से निकलकर स्वर्ण निर्माण शोध में निमग्न हो गए थे. उनके सामने सुविधाएँ भी कम थी और समस्ययाओं का ताँता होता था.उन्हें सफलता ७० साल की उम्र में प्राप्त हुई. अतः आत्मविश्वास भरा प्रयास व्यक्ति को सफल बनाता है.   
                                    
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11 comments:

  1. सोना निर्माण के बारे में आप अपना प्रश्न कर सकते हैं।

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    1. Gandhak ka tel kyase banaye.. Kripa karke batayenge...please

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  3. MENE YE PRYOG KIYA THA MAGAR SAFLATA NAHI MILI,
    YE PARA KITNE PRKAR KA HOTA HE.....

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  4. पारे का प्रकार तो एक ही होता है, उसमें क्वालिटी होती है. शुद्ध होगा तो काम बनेगा ही. अन्य सामग्रियां भी सही होनी चाहिए. एक बार असफल होने पर हिम्मत नहीं हारना चाहिए. कही न कही त्रुटि हुई होगी. आप डुब्बारा प्रयत्न कीजिये. हमसे कुछ सलाह लेनी हो तो आपका स्वागत है. 8447858941 अशोक भैया. ऋषिकेश, दिल्ली. आप हमसे फेसबुक पर जुड़ जाइये. (ashokbhaiya666@gmail.com)

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  6. मैं पारदेश्वर बनाना चाहता हू कृपया सरलतम तरीका बताएँ

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    1. पारे के 108 संस्कार के लिए पारद शोधन की पुस्तक ले लो भाई प्रयोग करते रहो सफल अवस्य होगें।

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  8. Ashok ji kirpa karke pare ki goli kaise banate hai uski vidhi mujhe bata dijiye main aapka aabhari rahunga manjitsingh41317@gmail.com yeh meri mail id haithanx

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  9. सम्मोहन - वशीकरण, आर्थिक - पारिवारिक टेंशन, नौकरी - व्यवसाय या अपने किसी भी समस्या की, निःशुल्क समाधान के लिए फोन करें या हमें व्हाट्सअप पर 9565120423 मैसेज करें. सहयोग दिया जायेगा.- अशोक भैया (समस्या ही समाधान है)

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