Saturday 16 March 2013

भूत से टक्कर


                              कमरे का भूत 


मैं जो भी कहूँगा सच कहूँगा, सच के सिवाय  कुछ नही. संयोग से मेरी बात गले न उतरे या असत्य सी लगे तो मैं कोई भी सजा भुगतने पर न तो शर्म करूँगा न दुख. 
                                       
                                                     

                     अशोक भैया -  9565120423
               Delhi, Rishikash, Gorakhpur, Mau, Ballia
                                     ashokbhaiya666@gmail.com



क्योंकि सच बोलने का मजा  मै जानता हूँ. झूठ का अनुभव भूल भी गया हूँ. वैसे भी जब मैंने सच को अपनाया तो कईयों से मेरा झगड़ा हो जाता. बाद में मेरी ही जीत होती. मेरे कई जान पहचान के लोग मेरी बातों को ठीक-ठाक और उचित मान लेते है. क्योंकि मैं कभी भी अफवाहों की हवा में नहीं बहता. जो देखता वही कहता हूँ. आप भी अगर ऐसा बनने का इरादा रखते हैं तो आपका स्वागत है. सच की दुनिया ऐसी दुनिया है जहाँ आपका कोई कुछ नही बिगाड़ सकता. 

आज से लगभग ३ साल पहले  मैं यू पी, मऊ के निजामुद्दीनपूरा में फेंगसुई वास्तु दोष निवारण केंद्र का स्टाल लगाया था. मैं अकेला था इसलिए रात में उसी दुकान में सो लिया करता था. भोजन कभी होटल से कर लेता तो कभी किराने की दुकान से चने की सत्तू पैकेट लेकर पानी में घोलता और पी लेता, काम फ़िट. जून जुलाई का महीना था, शाम होते ही बिजली कट जाती तो फिर रात को १ बजे ही आती. इस कारण १० बजे तक अगल बगल परिचय की दुकानों पर टाइम पास कर लेता. 

इधर भोजन के लिए कुछ खाने  पीने  की चीजें, जिसमें चने की सत्तू पैकेट भी होता उसे दुकान में रखता तो वह बंद दुकान से गायब होने लगी. मुझे लगता, दुकान में जो मोटे मोटे, बड़े बड़े चूहें है. उनकी करामात होगी. किन्तु बीसवें दिन रहस्य खुला तो मैं रात में १२ बजकर ३७ मिनट पर अँधेरे में ही दुकान से भाग पड़ा और सीधे मऊ रेलवे स्टेशन पहुचा. स्टेशन का बाहरी भाग सुनसान पड़ा था. एक ठेले पर चाय वाला चाय बना रहा था. मैं वही ब्रेंच पर बैठकर सुबह होने का इंतजार करने लगा. 

हुआ ये था कि बीसवें दिन की  रात में भोजन आदि कर लेने के बाद जमीन पर ही बिछी चटाई पर मैं लेट गया. तब लाईट भी थी और पंखा भी चल रहा था. मैं अपने भाई मनोज (मऊ- घोसी बाबू स्टोर ) के दिए रेडियो पर गाना सुन रहा था. जब नींद आने लगी तो रेडियो बंद कर सो गया. मेरी नींद खुली तब, जब आस-पास से ही किसी के लेट्रिन करने की आवाज आने लगी. लाईट गुल थी, कमरे में अँधेरा था. इस कारण ठीक से कुछ समझ भी नहीं पा रहा था कि क्या हो रहा है.  

मैं बिना कोई हरकत किए चुप  लेटा ही रहा. थोड़ी देर बाद मुझे लगा, मेरे बगल वाले कमरे में ही  कोई इतनी रात को लेट्रिन कर रहा है. तभी नाक में लेट्रिन की तेज दुर्गन्ध भी आई. फिर थोड़ी देर बाद महसूस हुआ, मेरे ठीक आस पास ही कोई बैठा हुआ है. कमरे में पूरी तरह अँधेरा, दुर्गन्ध साफ़ महसूस हो रहा था. .....और मैं पूरे अनुभव और विश्वास के साथ अपना बायां पैर बिजली की गति में उठाकर चला दिया .......चपाक. मैं लेटे लेटे ही पैर चलाया था और चपाक से किसी को लगा. मैं हड़बड़ा कर उठ बैठा कि, यहाँ बंद कमरे में आदमी कहाँ से ? 

मैंने किसको मारा किसको ?क्योंकि  मेरा पैर जमीन से लगभग १ फिट ऊपर उठा था. मैं अँधेरे में ही माचिस, फिर मोमबत्ती जलाया और मोमबत्ती की प्रकाश में चारोँ तरफ घूर-घूरकर देखने लगा. मगर ऐसा कुछ न दिखा. मैंने सोंचा, ठीक है, सोते है सुबह समझा जाएगा. और मोमबत्ती जैसे ही जमीन पर रखने को हुआ तो देखा चटाई के कोने पर ही ढेर सा लेट्रिन पड़ा है. मैं भयभीत सा हो गया, लेकिन बिना देर किए गुरु मंत्र उच्चारण करते हुए जल्दी जल्दी कपड़े पहना, मोबाईल उठाया, टाइम देखा, बारह बजकर सैतीस मिनट. 

ताला चाबी उठाया, दरवाजे से बाहर हुआ और ताला लगाकर सुनसान सड़क से होते हुए रेलवे स्टेशन की तरफ भागता चला गया. बार बार मेरे पैर में उस जीव या प्रेत के रोयेंदार बदन का अहसास हो रहा था. स्टेशन के बाहर चाय वाले से दो तीन चाय पीकर सुबह किया फिर वापिस दुकान की तरफ लौटा तो अगल 
बगल की दुकाने खुल चुकी थी. मैंने पड़ोसी दुकानदार बंधुओं को रात वाली घटना सुनाया, सब मेरा मुंह ताकने लगे थे. मैंने उन सभी को लेकर अपनी दुकान खोलकर चटाई पर किया हुआ लेट्रिन दिखाया.

सभी के सभी कहने लगे  अशोक भाई, अब जल्दी से जल्दी दुकान खाली कर दो. इस दुकान में भूत, प्रेत और खबिसों की शिकायत पहले भी थी, आज पूरी तरह से बात साफ हो गई. आप बच गए हो यही बहुत है. मैंने कहा, सही बात है. अगर मैं लेट्रिन नहीं देखता तो सो जाता. और जैसे ही मेरी नींद लगती तब ओ मेरा गला आराम से दबा देता. क्योंकि मैंने भी उसे वाकई बहुत जोर का पैर मारा था. वह चुप थोड़े बैठता, बदला तो लेता ही . 
           
          यहाँ निचोड़ ये है कि, सच्चाई के साथ रहने से आपके अन्दर का भय समाप्त हुआ रहता है. और मरता या मारा वही जाता है जो भय करता है. और भय भी तो वही करता है जो दूषित विचार और व्यवहार करता है. आप सच्चाई के साथ रहिए .... और देखिए कैसा पावर इकठ्ठा होता है आपके अन्दर. परिणाम हर बार और बार-बार आपके हक़ में अच्छा ही होगा. 
          अगर आपके जीवन में इस प्रकार की घटना का कभी कोई संदेह हो तो आप डरे नहीं, हिम्मत को मजबूत किए रखिए. कोई आपका कुछ भी बिगाड़ न पाएगा. मैं एक प्रभावशाली महा मंत्र दे रहा हूँ. जो ऐसी स्थिति के लिए बहुत प्रसिद्ध है. जब भी इस तरह की कोई बात हो तो आप इसका मन ही मन उच्चारण करना शुरू कर दीजिए, फिर देखिए कमाल…..   

 तेजस्वी नवार्ण मंत्र  -  
                                 ऐं  ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ।। 
                          
                                                                अशोक भैया -   9565120423
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