Tuesday 12 February 2013

ध्यान समाधि


         ध्यान लगाने की सहज विधि 

          ध्यान का अर्थ है एकाग्रता  अर्थात एकाग्रचित होकर विचारशून्य की स्थिति में बन जाना। ग्रंथों में ध्यान लगाने की अनेक भिन्न भिन्न विधिं है और कामयाब भी हैं। क्योंकि उन विधियों को जिसने भी लिखा अपने स्वयं के अनुभव  पर ही लिखा होगा। आज मैं उस  विषय पर अपना प्रेक्टिकल अनुभव स्वर्णिम विधि के रूप में दे रहा हूँ। इससे ध्यान साधना में शीघ्र सफलता की प्राप्ति होती है। 
           
          ध्यान से हम किसी भी  जटिल समस्या का हल प्राप्त करते हैं। ध्यान से ही हम लम्बी आयु प्राप्त करते हैं। ध्यान से ही हम स्वस्थ, सम्मोहक शरीर और सुदृढ़ विचार युक्त व्यक्तित्व की प्राप्ति करते हैं। अतः ध्यान के लिए कुछ मूल बातों को ध्यान में रखना अतिआवश्यक है कि, ध्यान लगने या लगाने में हमारे श्वांस प्रश्वांस का अति महत्व है। श्वास जितनी ही धीमी गति में चलेगी उतना ही शीघ्र हम ध्यान अर्थात एकाग्रता को प्राप्त करेंगे। 
            
              अतः श्वास पर हमारा  नियंत्रण होना नितांत आवश्यक है। श्वास पर नियंत्रण एवं  ध्यान में शीघ्र सफलता हेतु अपने दैनिक कार्यक्रमों में कुछ आवश्यक परिवर्तन लाएं, जैसे- भोजन में सादगी हो, तली हुई चीजें, खट्टा, मीठा, तीता  का कम से कम प्रयोग करें। अपने विचार को हमेशा सकारात्मक रूप में रखें अर्थात अनावश्यक विषयों पर सोंचना ध्यान उर्जा को कम करना होता है। हमेशा काम की शुद्धतम विषयों पर ही सोंचा करें जिससे आपको, समाज को, दोस्त मित्र परिचित को उससे लाभ मिल सके या आपकी धनात्मक सोंच उनके और आपके लिए वरदान सावित  हो सके। फालतू विषयों पर सोंचने की जरुरत ही क्या है। 
            
          अपने व्यक्तित्व को सम्मोहक  बनाने का प्रयत्न करें। हालाँकि उपरोक्त निर्देशों का अनुसरण करने पर भी व्यक्तित्व में सुधार  और निखार आता ही है परन्तु आपके प्रयास में वैसी सोंच होनी चाहिए। तब तो सफलता भी शीघ्रतम की स्थिति में आ जाती है। ध्यान रखें - हमेशा मेरुदंड  सीधा रखते हुए चले, बैठें, या खड़े रहें। आपका ध्यान बराबर इस पर होना चाहिए कि, आपका मेरुदंड (पीठ में रीढ़ की हड्डी जो गले के पीछे से होकर नीचे तक गई होती है) हमेशा अलर्ट अटेंशन और सीधा रहें। यह साधारण सी हिदायत प्रभावशाली स्थिति है। क्योंकि इस क्रिया से आपके श्वास सहज रूप से निकलते और अन्दर प्रवेश करने लगता है।
           
          इसे आप कभी भी या अभी भी आजमाकर संदेह दूर कर सकते है। कारण कि, मेरुदंड में ही हमारे शरीर की कुंडलिनी चक्र विराजमान है। जिनपर आपके दैनिक अभ्यास का सीधा असर पड़ता रहता है और यह सक्रिय रूप में होते हुए आपके प्रभावशाली प्रयास का प्रतिक्षा करती रहती है। अतः अपने दैनिक कार्यक्रमों को एक नियम में कर लें। सोना, जागना, टहलना आदि में कुछ समय योगाभ्यास के लिए भी रखें। योग वही जो ध्यान लगाने में शीघ्र सहयोगी बने। और मेरे  अनुसार इसके लिए मात्र 3 प्रकार का योग ही आवश्यक है जो मैं आज भी दैनिक रूप से करता रहा हूँ। 
           
         1- शीर्षासन - भूमि पर कोई गद्देदार वस्त्र डालकर उस पर सिर के बल हो जाएँ। दोनों पैर ऊपर की ओर तने हुए हों। शुरू में दीवार का सहारा लेकर करें, आगे चलकर बिना सहारे की आदत डालें। इससे आपको कई अन्य लाभ भी होगा। मस्तिष्क, नेत्र, नाक, कान, मुख और गले आदि के लिए पावर भी मिलेगा। 
           
        2- स्वाशासन - या कपालभांति इसके लिए पद्द्मासन  में बैठकर सीधा रहते  हुए तेज गति में साँस लें और छोड़े। 
            
        3- शवासन - इसके लिए भूमि पर विस्तर बिछा दें और बिना तकिया के मुर्दे की तरह सीधा लेट जाएँ। मन में भावना बनाएं कि आपका संपूर्ण शरीर निष्क्रिय होता जा रहा है। यानी पूरा शरीर शिथिल पड़ता जा रहा है। तब मन ही मन पूरी एकाग्रता से ''ॐ चैतन्य चैतन्य स्वाहा '' मंत्र का उचारण करते रहें। थोड़ी देर में इसका अद्भुत सफलता मिलने लगता  है। इस अभ्यास में नींद भी लग जाए तो घबराने की बात नहीं है। इसे सफलता का कारण मान सकते है। अतः इन 3 योगाभ्यास को नियमित कर लें। 
            
         इस प्रकार यह योगाभ्यास आपकी ध्यान साधना के लिए अति कामयाब सूत्र माना जाएगा। इसका अभ्यास प्रातः काल  में ज्यादा अनुकूल रहेगा। अथवा सायं को भी कर सकते है। इस अभ्यास को शुरू में एक घंटे में पूरा करें। आगे चलकर धीरे धीरे दो घंटे का बनालें। इसी के साथ एक और अभ्यास को करें। इसे योग वाले क्रम में भी रख सकते है जिसे त्राटक कहते हैं। अर्थात कमरे या किसी निर्विध्न स्थान पर एकांत में (खाली पेट) सुखासन की स्थिति में बैठें। कमरे में हैं तो वहाँ हल्की प्रकाश करें। कोई सुगन्धित अगरबत्ती जलादें। अपने सामने तक़रीबन 3 फिट की दूरी पर सफ़ेद पेपर पर काली  मिर्च के आकार  में एक काली गोल बिंदु बनाकर दिवाल में चिपका दें। और सुखासन की स्थिति में सीधा बैठे बैठे बिना पलक गिराए एक टक उस काली बिंदु को देखते रहने का अभ्यास करें। 
               
         जब आँख से पानी गिरने लगे तो आँखों को ताजे जल से धो लें और पुनः अभ्यास जारी करें।   इस प्रकार इसकी समय सीमा भी शुरूआत में कम लेकिन धीरे धीरे बढ़ाते जाएं। अंत में कुल 33 मिनट का अभ्यास पूर्ण करें। इस अभ्यास में कोई जल्दबाजी न करें। अभ्यास के दौरान जब आँखे इसके लिए सहमत न हो तो अभ्यास रोक देना ही उचित होगा। अभ्यास पुनः अगले दिन करें। आपको निश्चित ही बड़ी सरलता से सफलता मिलती चली जाएगी। 
             
         अब हम मुख्य विषय की हेडिंग- ध्यान लगाने की  सहज विधि पर आते हैं। अभी एक हफ्ते पहले ही एक मित्र के बुलावे पर मैं  गुडगाँव (हरियाणा) गया था  वहाँ  दो अन्य मित्रों का भी परिचय मिला। उनमें से एक सज्जन मेरे परिचय से प्रसन्न होकर सवाल कर दिए, ध्यान लगाने की सहज विधि क्या है ? बताएं। मैंने कहा ठीक है, मैं  शीघ्र ही अपने साईट पर इसके लिए अति सरल सुगम विधि सार्वजनिक कर रहा हूँ आप लोग प्रतिक्षा करें। वही विधि आज आप भी पढ़ रहें हैं। अतः आप अपनी राय  हमें जरुर दीजिएगा। इस बारे में हमसे नेट या फोन से अन्य जानकारी भी ले सकते हैं। 
            
         अब हम ध्यान लगाने  की सहज विधि की सिचुवेशन पर आते हैं कि, ध्यान लगना या लगाना आसान मान सकते है, किन्तु है नहीं। क्योंकि इसे आसान बनाया जाता है। उपरोक्त सभी निर्देशों का अनुसरण करें, इन्हें अपने जीवन की दिनचर्या में उतार लें। ध्यान लगाने की सहज विधि पर अभ्यास नियमित रखें। इस प्रकार प्रातःकाल दैनिक कार्यक्रम से निबटकर (खाली पेट करें तो बेहतर होगा ) कमरे या शांत एकांत स्थान पर सुखासन या पद्मासन में बैठें। पूरा शरीर शिथिल होने का अनुभव करें। धीमी गति से श्वास लें और छोड़े। नेत्र की स्थिति शिवनेत्र मुद्रा में करें। अर्थात  नेत्र बंद भी न हो और खुला भी न हो। तत्पश्चात अपने आज्ञाचक्र पर ध्यान करते हुए ॐ चैतन्य चैतन्य स्वाहा का मन ही मन उच्चारण करते रहें। (आज्ञाचक्र यानी मस्तिष्क पर जहां बिंदी या तिलक किया जाता है) वहां ध्यान करें। ध्यान करते ही वहां अँधेरा ही अँधेरा दिखेगा।
            
          आप देखते रहिए, कुछ देर  बाद वहां उस अँधेरे में भी एक काली बिंदु दिखेगी। अब उसी काली बिंदु को देखते रहने का प्रयत्न करिए। इस स्थिति में जितना ही धीमी स्वास लेंगे उतनी ही जल्दी काली बिंदु स्पष्ट नजर आने लगेगी। और जैसे-जैसे काली बिंदु साफ होती जाएगी वैसे-वैसे अपने आस पास के अंधियारे को समाप्त करती जाएगी। थोड़े ही दिनों में वहां प्रकाश ही प्रकाश दिखने लगेगा। और यह समय  आपके लिए अद्दभुत आनंददायक होगा। क्योंकि तब तक आप ध्यान का रसपान कर चुके होंगे। इस स्थिति में जो कोई भी आपको देखेगा उसे आप नहीं बल्कि आपके स्वरूप में कोई सिद्ध महापुरुष दिखेगा। कारण कि, इस समय में ब्रह्मांड की शक्तियां आपके पूरे शरीर में प्रवेश कर रही होती हैं और आपको साधारण मानव से महामानव की श्रेणी में पहुँचाने को उतावली रहती हैं। यह लेख सिर्फ लम्बा चौड़ा है। पॉइंट समझ लेने की बात है। आप इसमें पूर्णतः सफल हों, हमारी मंगल कामनाएँ है आपको। 
           
          यह लेख कथा कहानी  की तरह से तब तक लगेगा जब तक आप खुद इसका अभ्यास शुरू न कर देंगे। अतः हम कहेंगे इसका आज से ही अभ्यास आरम्भ कर दीजिए। फिर देखिए  ध्यान के किस महासागर में आप प्रवेश कर जाते हैं। 

नोट- यह आपार हर्ष का विषय है कि, हमने अपने पूर्व सूचना के मुताबिक त्राटक ज्ञान के साथ सम्मोहन, वशीकरण, कुंडलिनी जागरण का 30 से 45 दिनों का विशेष कोर्स जारी कर दिया है। इस दुर्लभ त्राटक सम्मोहन कोर्स को अनेक प्रांतों के भाई बंधु और शुभचिंतक लगन पूर्वक कर रहे हैं। अतः मंगल कामना हैं इनकी सफलता के लिए तथा आपके लिए हार्दिक कामना है आपके आगमन के लिए। क्योंकि आप दुनिया से बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं परन्तु ऐसा अद्भुत और दुर्लभ ज्ञान कहीं और से प्राप्त करना बहुत ही कठिन है। नामुमकिन भी मान लीजिये। इस सम्बन्ध में किसी भी जानकारी के लिएआप बेहिचक हमें फोन कर सकते हैं। आपको हमारा भरपूर सहयोग प्राप्त होगा, भरोसा रखें।      
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                       धन्यवाद !             -अशोक श्री                      9565120423   दिल्ली, ऋषिकेश 

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