Thursday, 21 February 2013

राम नाम सत्य है


           राम नाम सत्य है !!!

मैं जो भी कहूँगा सच कहूँगा। सच के सिवाए कुछ नहीं। संयोग से मेरी बात गले न उतरे या असत्य सी लगे तो मैं कोई भी सजा भुगतने पर न तो शर्म करूँगा न दुख।
                   अशोक भैया - + 91 8447858941

          आप पहले व्यक्ति हैं जो हमें पढ़ रहे हैं। इसलिए मैं रौब से कह सकता हूँ कि एक चना भी भाण फोड़ता है। ऐसी ताकत, ऐसा पावर आपके पास भी है। आप अपने अन्दर के इस पावर का इस्तेमाल करके तो देखिए। हर इच्छा पूरी हो जाएगी, हर मुरादें मंजिल की ओर भागेगी। वैसे ग्रन्थ साहित्यों में तो इक्छापूर्ति के अनेक उपाय बताए गए हैं परन्तु पढने की फुरसत किसको है। कौन पोथियों में सिर खपाए ? 
          
          एक बार मैंने किसी से कहा - मैं सोने बनाने की कई विधियां जानता हूँ  तो बोले - मैं खुद क्यों न बना लेता सोना। मैंने कहा, वो तो बना ही लेता हूँ ..... मैं तो तुम्हेँ  सिखाने की बात कर रहा हूँ। तब पुनः वो बोले - सिखाने की क्या जरुरत है, बनाकर उसी में से थोड़ी दे देना। फुरसत किसे है, सिखने और सिखाने की। ये बुजुर्ग मानसिक विकलांग नीचले दर्जे के एक अध्यापक थे। ट्रेन में मुलाकात हुई थी। मैं तो चुप्प होकर उन्हें देखता रह गया था। दरअसल कोई खुद प्रयत्न करना नहीं चाहता, सब रेडीमेड चाहते हैं। 
          
          इधर लोग कहते हैं दुनिया में टेन्शन बहुत बढ़ गया है। तभी तो सन 2012 की तबाही को सोंच कर लोग डर और दुबक गए थे। लोगों ने सोंचा अब धरती ऊपर जाने ही वाली है और आसमान नीचे आ जाएगा। धत तेरे सोंच की। प्रलय प्रलय प्रलय, जो डरे थे वो लोग प्रलय का प्रचार करने में जुट गए थे। खुद भी डरे थे और दूसरों में भी डर पैदा कर रहे थे। आप समाज के साथ जी रहे हैं तो इस तरह के डर को अपने से जुदा रखिए। जिस दिन अभय बन जाएँगे उस दिन बहुत बड़ी ताकत आपके हाथों में होगी। डरे हुए को एक पत्ता भी डरा देता है। यदि डर को निकाल देंगे मन से तो महाकाल भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा। मैं गारन्टी लेता हूँ।
          
         मारा वही जाता है जो डरा सहमा हो। और डरता वही है जो गलतियां पे गलतियां करता रहता है। मैं तो कहता हूं कि, ईश्वर ने मानव तन में ऐसी ऐसी एनर्जी दे रखी है कि योगा विधि से उसे चार्ज करते रहो और इस्तेमाल करते रहो। जिधर नजर घुमावो उधर वार करो। जिधर देखो उधर सब सम्मोहित होकर रह जाय ...... और इसके लिए मैं आज एक छोटा सा परन्तु पावरफुल टिप्स बता रहा हूँ। इसे ट्राई करके देखिएगा। यह शरीर विज्ञान के अंतर्गत है। ये कोई जादू या तंत्र मंत्र नहीं है। 
          
          आप जब भी किसी से मिलिए और बात शुरू करिए तो सामने वाले की ललाट को देखते हुए करिए. ललाट यानी मस्तक के मध्य, जहाँ बिंदी या तिलक लगाया जाता है। अर्थात जब आपको अपनी बात कहनी हो तो अपनी दृढ़ दृष्टि सामने वाले की ललाट के मध्य में देखते हुए करें। (नोट - यह प्रयोग महिला या पुरुष, युवक या युवती कोई भी करके हाथो हाथ लाभ उठा सकता है ) यह प्रयोग पूरे आत्मविश्वास के साथ करे  सफलता तुरंत दिखेगा। ऐसा करेंगे तो आप उसी पल से उस पर हाबी होते जाएँगे। 
          
          क्योंकि आदमी की आँखों के सामने जो काली तिल भागती नजर आती है, वह तिल कोई साधारण नहीं है। यही तो वह पावर है जिसका विधि पूर्वक अभ्यास के द्वारा तिल को अपने कंट्रोल में कर लिया जाता है और उसका इच्छित लाभ लिया जाता है। ऐसे अभ्यास के बल पर ही सम्मोहन विशेषज्ञ  भी बना जाता है। इसमें कहीं तंत्र मंत्र नहीं बल्कि यह नेत्रों का एक योगा है जिसे त्राटक कहा जाता है। इसके विधि पूर्ण अभ्यास से बिमारियों पर भी काबू पाया जा सकता है और मनोकामनाओं की पूर्ति भी की जाती है. 
          
          लेकिन आप इतना बिजीमैन हैं कि, यह जानने के लिए भी समय कहाँ। दिन भर टेन्शन ही टेंशन। और टेन्शन से ही घिरे रहेंगे तो 2012 की बात प्रलय ही तो लगेगी। घर में तनाव, मोहल्ले में मारा मारी, आफिस में झमेला इत्यादि। एक युवक हमसे बोला कि, हमें इन्टरवीऊ पर जाना है, कोई ऐसा मंत्र बता दीजिए ताकि जबर्दस्त सफलता मिले। मैंने बताया - ॐ क्रीं क्रीं क्रीं क्रीं    जब घर से निकलना तो इसका मन ही मन शुद्ध उचारण करते हुए आफिस  तक जाना, 90 % की गारंटी होगी। महीने बाद वो लड़का मिला तो बोला - भैया मेरा काफी काम बना है, लीजिए लड्डू खाइए।
          
         इसे सिर्फ पढ़ाई और इंटरवीऊ में ही नहीं, किसी भी मामले में पूरी सफलता के लिए करिएगा। आपको शत-प्रतिशत लाभ मिलेगा। अभी हाल ही में एक आदमी मिला जो तेजी में जा रहा था। हमने पूछा तो वह बोला- मेरी चाची  (गैस ) की पुरानी मरीज हैं। पुराना रोग है, जा रहा हूँ  डाक्टर के पास। मैंने कहा, मैं भी बतादू कुछ। तो बोला - बताइए। मैंने बताया-  प्रातः के समय 50 ग्राम मुली का बीज लेकर 200 ग्राम पानी में उबालना है। पानी जब आधी रह जाए तो उसे छानकर उसका पानी रोगी को खाली पेट पिलाना है। ऐसा नियमित रूप से एक माह तक करने पर गैस की वीमारी का विनाश हो जाएगा। 
          
          अगर आपको हमारा नुस्खा दमदार लगे तो किसी ऐसे बिमार व्यक्ति को जरुर बतादें, वह स्वस्थ हो जाएगा  और आपको दुआएं देगा। इस तरह से आपको भी सेवा का अच्छा मौका मिल जाएगा। अन्य किसी विषय या बिमारी के सम्बन्ध में सलाह के लिए निःसंकोच फोन कर लें। हमारा सहयोग मिलेगा।

नोट- यह आपार हर्ष का विषय है कि, हमने अपने पूर्व सूचना के मुताबिक त्राटक ज्ञान के साथ सम्मोहन, वशीकरण, कुंडलिनी जागरण का 30 से 45 दिनों का विशेष कोर्स जारी कर दिया है। इस दुर्लभ त्राटक सम्मोहन कोर्स को अनेक प्रांतों के भाई बंधु और शुभचिंतक लगन पूर्वक कर रहे हैं। अतः मंगल कामना हैं इनकी सफलता के लिए तथा आपके लिए हार्दिक कामना है आपके आगमन के लिए। क्योंकि आप दुनिया से बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं परन्तु ऐसा अद्भुत और दुर्लभ ज्ञान कहीं और से प्राप्त करना बहुत ही कठिन है। नामुमकिन भी मान लीजिये। इस सम्बन्ध में किसी भी जानकारी के लिएआप बेहिचक हमें फोन कर सकते हैं। आपको हमारा भरपूर सहयोग प्राप्त होगा, भरोसा रखें।    
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अशोक श्री   9565120423  दिल्ली, ऋषिकेश, मऊ, बलिया 

Monday, 18 February 2013

नमस्कार का चमत्कार


                               !! नमस्कार !!

एक ऐसा शक्तिशाली मंत्र है जिसका इस्तेमाल करते ही काम बनने लगता है। 

एक छोटी सी बात को ध्यान से पढ़े। क्योंकि नमस्कार करना अच्छे  व्यक्तित्व का परिचायक है। किन्तु ............ मेरी नजर में इससे भी बेजोड़ बात है, मैं नमस्कार को एक तेज औजार  मानता हूँ । कारण कि, नगेटिव  और पोजेटिव दोनों परिस्थितिओं  में इसका असर देखने को मिलता है जिसपर ध्यान रखना बेहद जरुरी है। 
          
         मैं जब भी किसी से  मिलता हूं  तो मुस्कराकर जरुर नमस्कार करता हूं। बेशक मुझे लिफ्ट मिल जाता है सामने वाले की तरफ से। क्योंकि  उनके  मुखमंडल से, चेहरे के भाव से लग जाता है कि,  हमारे नमस्कार को ह्रदय से स्वीकार किया गया है। फिर पूछ बैठते है लोग मेरा हाल चाल। अभी-अभी दो महीना पहले की बात है। मैं  ऋषिकेश में था। राम झूले की तरफ से पैदल ही आ रहा था कि, एक महात्मा जी सामने आ गए। मेरे मुख से निकल गया,  नमस्कार जी ........
          
        वो तुरंत रुकते हुए बोले - बच्चा, यहाँ नमस्कार नहीं, राम राम चलता है। मैंने कहा- महाराज जी, मैंने भी तो गलत नहीं बोला। मेरे नमस्कार में तो आपके राम राम विराजमान ही है। महाराज जी को झटका लगा, बोले- क्या बोल रहे हो ? तो मैंने ऋषि बाल्मीकि विधि को याद दिलाया, बाल्मीकि जी भी तो मारा  मारा कहते कहते महान बन गए। यहाँ नमस्कार NAMASKAR में भी देखिए M A R A या हिंदी में भी लिखेंगे तो मारा मारा MARA MARA आ जाएगा। तब वो भी समझ गए और बोले ........ अच्छा है। 
          
         सचमुच यह ऋषि बाल्मीकि की विधि है। बहरहाल मैं उनकी भावना का सम्मान करते हुए राम राम बोला और आगे बढ़ गया। वह भी मुस्करा कर रह गए। आप भी इस औजार का इस्तेमाल कीजिए। बहुत ही पावरफुल धार में काम करेगा। मेरे कहने का अर्थ ये है कि, आपको चाकू, छुड़ी, तलवार, पिस्टल या किसी रायफल बन्कदू की जरुरत नहीं है। अगर किसी को मार गिराना है, सिलिंडर करा देना है तो अपने अन्दर नमस्कार करने की आदत डाल लीजिए। 
          
         इसके लिए किसी लाइसेंस की भी जरुरत नहीं होगी। इसका लाइसेंस तो नमस्कार बोलते  वक्त आपके मुखमंडल पर ही रजिस्टर्ड होता है। जब आप बोलते है नमस्कार, तब मैं भी आपको नमस्कार बोलता हूँ। तब आपका और हमारा सम्बन्ध निश्छल और अटूट बनता है। सामने वाले के मन में एक भरोसा दिलाता है कि, यह आदमी नुकसान नहीं पहुंचाएगा, भरोसामंद है, मगर इसके लिए संकोच भुलाकर आदत डालनी होगी। बिना आदत डाले आप इसके अभ्यस्त नहीं होंगे। 
         
इसलिए आदत डालिए और इसका लाभ हाथों-हाथ देखिए, अगर असफलता मिले तो बेहिचक मेरा कालर पकडिए, लेकिन उससे पहले नमस्कार जरुर बोल दीजिए थोड़े मुस्कराकर तो बुरा मैं भी नहीं मानूंगा।
                              
(नोट- यह आपार हर्ष का विषय है कि, हमने अपने पूर्व सूचना के मुताबिक त्राटक ज्ञान के साथ सम्मोहन, वशीकरण, कुंडलिनी जागरण का 30 से 45 दिनों का विशेष कोर्स जारी कर दिया है। इस दुर्लभ त्राटक सम्मोहन कोर्स को अनेक प्रांतों के भाई बंधु और शुभचिंतक लगन पूर्वक कर रहे हैं। अतः मंगल कामना हैं इनकी सफलता के लिए तथा आपके लिए हार्दिक कामना है आपके आगमन के लिए। क्योंकि आप दुनिया से बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं परन्तु ऐसा अद्भुत और दुर्लभ ज्ञान कहीं और से प्राप्त करना बहुत ही कठिन है। नामुमकिन भी मान लीजिये। इस सम्बन्ध में किसी भी जानकारी के लिएआप बेहिचक हमें फोन कर सकते हैं। आपको हमारा भरपूर सहयोग प्राप्त होगा, भरोसा रखें।    
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              -धन्यवाद              अशोक भैया - 9565120423

Tuesday, 12 February 2013

ध्यान समाधि


         ध्यान लगाने की सहज विधि 

          ध्यान का अर्थ है एकाग्रता  अर्थात एकाग्रचित होकर विचारशून्य की स्थिति में बन जाना। ग्रंथों में ध्यान लगाने की अनेक भिन्न भिन्न विधिं है और कामयाब भी हैं। क्योंकि उन विधियों को जिसने भी लिखा अपने स्वयं के अनुभव  पर ही लिखा होगा। आज मैं उस  विषय पर अपना प्रेक्टिकल अनुभव स्वर्णिम विधि के रूप में दे रहा हूँ। इससे ध्यान साधना में शीघ्र सफलता की प्राप्ति होती है। 
           
          ध्यान से हम किसी भी  जटिल समस्या का हल प्राप्त करते हैं। ध्यान से ही हम लम्बी आयु प्राप्त करते हैं। ध्यान से ही हम स्वस्थ, सम्मोहक शरीर और सुदृढ़ विचार युक्त व्यक्तित्व की प्राप्ति करते हैं। अतः ध्यान के लिए कुछ मूल बातों को ध्यान में रखना अतिआवश्यक है कि, ध्यान लगने या लगाने में हमारे श्वांस प्रश्वांस का अति महत्व है। श्वास जितनी ही धीमी गति में चलेगी उतना ही शीघ्र हम ध्यान अर्थात एकाग्रता को प्राप्त करेंगे। 
            
              अतः श्वास पर हमारा  नियंत्रण होना नितांत आवश्यक है। श्वास पर नियंत्रण एवं  ध्यान में शीघ्र सफलता हेतु अपने दैनिक कार्यक्रमों में कुछ आवश्यक परिवर्तन लाएं, जैसे- भोजन में सादगी हो, तली हुई चीजें, खट्टा, मीठा, तीता  का कम से कम प्रयोग करें। अपने विचार को हमेशा सकारात्मक रूप में रखें अर्थात अनावश्यक विषयों पर सोंचना ध्यान उर्जा को कम करना होता है। हमेशा काम की शुद्धतम विषयों पर ही सोंचा करें जिससे आपको, समाज को, दोस्त मित्र परिचित को उससे लाभ मिल सके या आपकी धनात्मक सोंच उनके और आपके लिए वरदान सावित  हो सके। फालतू विषयों पर सोंचने की जरुरत ही क्या है। 
            
          अपने व्यक्तित्व को सम्मोहक  बनाने का प्रयत्न करें। हालाँकि उपरोक्त निर्देशों का अनुसरण करने पर भी व्यक्तित्व में सुधार  और निखार आता ही है परन्तु आपके प्रयास में वैसी सोंच होनी चाहिए। तब तो सफलता भी शीघ्रतम की स्थिति में आ जाती है। ध्यान रखें - हमेशा मेरुदंड  सीधा रखते हुए चले, बैठें, या खड़े रहें। आपका ध्यान बराबर इस पर होना चाहिए कि, आपका मेरुदंड (पीठ में रीढ़ की हड्डी जो गले के पीछे से होकर नीचे तक गई होती है) हमेशा अलर्ट अटेंशन और सीधा रहें। यह साधारण सी हिदायत प्रभावशाली स्थिति है। क्योंकि इस क्रिया से आपके श्वास सहज रूप से निकलते और अन्दर प्रवेश करने लगता है।
           
          इसे आप कभी भी या अभी भी आजमाकर संदेह दूर कर सकते है। कारण कि, मेरुदंड में ही हमारे शरीर की कुंडलिनी चक्र विराजमान है। जिनपर आपके दैनिक अभ्यास का सीधा असर पड़ता रहता है और यह सक्रिय रूप में होते हुए आपके प्रभावशाली प्रयास का प्रतिक्षा करती रहती है। अतः अपने दैनिक कार्यक्रमों को एक नियम में कर लें। सोना, जागना, टहलना आदि में कुछ समय योगाभ्यास के लिए भी रखें। योग वही जो ध्यान लगाने में शीघ्र सहयोगी बने। और मेरे  अनुसार इसके लिए मात्र 3 प्रकार का योग ही आवश्यक है जो मैं आज भी दैनिक रूप से करता रहा हूँ। 
           
         1- शीर्षासन - भूमि पर कोई गद्देदार वस्त्र डालकर उस पर सिर के बल हो जाएँ। दोनों पैर ऊपर की ओर तने हुए हों। शुरू में दीवार का सहारा लेकर करें, आगे चलकर बिना सहारे की आदत डालें। इससे आपको कई अन्य लाभ भी होगा। मस्तिष्क, नेत्र, नाक, कान, मुख और गले आदि के लिए पावर भी मिलेगा। 
           
        2- स्वाशासन - या कपालभांति इसके लिए पद्द्मासन  में बैठकर सीधा रहते  हुए तेज गति में साँस लें और छोड़े। 
            
        3- शवासन - इसके लिए भूमि पर विस्तर बिछा दें और बिना तकिया के मुर्दे की तरह सीधा लेट जाएँ। मन में भावना बनाएं कि आपका संपूर्ण शरीर निष्क्रिय होता जा रहा है। यानी पूरा शरीर शिथिल पड़ता जा रहा है। तब मन ही मन पूरी एकाग्रता से ''ॐ चैतन्य चैतन्य स्वाहा '' मंत्र का उचारण करते रहें। थोड़ी देर में इसका अद्भुत सफलता मिलने लगता  है। इस अभ्यास में नींद भी लग जाए तो घबराने की बात नहीं है। इसे सफलता का कारण मान सकते है। अतः इन 3 योगाभ्यास को नियमित कर लें। 
            
         इस प्रकार यह योगाभ्यास आपकी ध्यान साधना के लिए अति कामयाब सूत्र माना जाएगा। इसका अभ्यास प्रातः काल  में ज्यादा अनुकूल रहेगा। अथवा सायं को भी कर सकते है। इस अभ्यास को शुरू में एक घंटे में पूरा करें। आगे चलकर धीरे धीरे दो घंटे का बनालें। इसी के साथ एक और अभ्यास को करें। इसे योग वाले क्रम में भी रख सकते है जिसे त्राटक कहते हैं। अर्थात कमरे या किसी निर्विध्न स्थान पर एकांत में (खाली पेट) सुखासन की स्थिति में बैठें। कमरे में हैं तो वहाँ हल्की प्रकाश करें। कोई सुगन्धित अगरबत्ती जलादें। अपने सामने तक़रीबन 3 फिट की दूरी पर सफ़ेद पेपर पर काली  मिर्च के आकार  में एक काली गोल बिंदु बनाकर दिवाल में चिपका दें। और सुखासन की स्थिति में सीधा बैठे बैठे बिना पलक गिराए एक टक उस काली बिंदु को देखते रहने का अभ्यास करें। 
               
         जब आँख से पानी गिरने लगे तो आँखों को ताजे जल से धो लें और पुनः अभ्यास जारी करें।   इस प्रकार इसकी समय सीमा भी शुरूआत में कम लेकिन धीरे धीरे बढ़ाते जाएं। अंत में कुल 33 मिनट का अभ्यास पूर्ण करें। इस अभ्यास में कोई जल्दबाजी न करें। अभ्यास के दौरान जब आँखे इसके लिए सहमत न हो तो अभ्यास रोक देना ही उचित होगा। अभ्यास पुनः अगले दिन करें। आपको निश्चित ही बड़ी सरलता से सफलता मिलती चली जाएगी। 
             
         अब हम मुख्य विषय की हेडिंग- ध्यान लगाने की  सहज विधि पर आते हैं। अभी एक हफ्ते पहले ही एक मित्र के बुलावे पर मैं  गुडगाँव (हरियाणा) गया था  वहाँ  दो अन्य मित्रों का भी परिचय मिला। उनमें से एक सज्जन मेरे परिचय से प्रसन्न होकर सवाल कर दिए, ध्यान लगाने की सहज विधि क्या है ? बताएं। मैंने कहा ठीक है, मैं  शीघ्र ही अपने साईट पर इसके लिए अति सरल सुगम विधि सार्वजनिक कर रहा हूँ आप लोग प्रतिक्षा करें। वही विधि आज आप भी पढ़ रहें हैं। अतः आप अपनी राय  हमें जरुर दीजिएगा। इस बारे में हमसे नेट या फोन से अन्य जानकारी भी ले सकते हैं। 
            
         अब हम ध्यान लगाने  की सहज विधि की सिचुवेशन पर आते हैं कि, ध्यान लगना या लगाना आसान मान सकते है, किन्तु है नहीं। क्योंकि इसे आसान बनाया जाता है। उपरोक्त सभी निर्देशों का अनुसरण करें, इन्हें अपने जीवन की दिनचर्या में उतार लें। ध्यान लगाने की सहज विधि पर अभ्यास नियमित रखें। इस प्रकार प्रातःकाल दैनिक कार्यक्रम से निबटकर (खाली पेट करें तो बेहतर होगा ) कमरे या शांत एकांत स्थान पर सुखासन या पद्मासन में बैठें। पूरा शरीर शिथिल होने का अनुभव करें। धीमी गति से श्वास लें और छोड़े। नेत्र की स्थिति शिवनेत्र मुद्रा में करें। अर्थात  नेत्र बंद भी न हो और खुला भी न हो। तत्पश्चात अपने आज्ञाचक्र पर ध्यान करते हुए ॐ चैतन्य चैतन्य स्वाहा का मन ही मन उच्चारण करते रहें। (आज्ञाचक्र यानी मस्तिष्क पर जहां बिंदी या तिलक किया जाता है) वहां ध्यान करें। ध्यान करते ही वहां अँधेरा ही अँधेरा दिखेगा।
            
          आप देखते रहिए, कुछ देर  बाद वहां उस अँधेरे में भी एक काली बिंदु दिखेगी। अब उसी काली बिंदु को देखते रहने का प्रयत्न करिए। इस स्थिति में जितना ही धीमी स्वास लेंगे उतनी ही जल्दी काली बिंदु स्पष्ट नजर आने लगेगी। और जैसे-जैसे काली बिंदु साफ होती जाएगी वैसे-वैसे अपने आस पास के अंधियारे को समाप्त करती जाएगी। थोड़े ही दिनों में वहां प्रकाश ही प्रकाश दिखने लगेगा। और यह समय  आपके लिए अद्दभुत आनंददायक होगा। क्योंकि तब तक आप ध्यान का रसपान कर चुके होंगे। इस स्थिति में जो कोई भी आपको देखेगा उसे आप नहीं बल्कि आपके स्वरूप में कोई सिद्ध महापुरुष दिखेगा। कारण कि, इस समय में ब्रह्मांड की शक्तियां आपके पूरे शरीर में प्रवेश कर रही होती हैं और आपको साधारण मानव से महामानव की श्रेणी में पहुँचाने को उतावली रहती हैं। यह लेख सिर्फ लम्बा चौड़ा है। पॉइंट समझ लेने की बात है। आप इसमें पूर्णतः सफल हों, हमारी मंगल कामनाएँ है आपको। 
           
          यह लेख कथा कहानी  की तरह से तब तक लगेगा जब तक आप खुद इसका अभ्यास शुरू न कर देंगे। अतः हम कहेंगे इसका आज से ही अभ्यास आरम्भ कर दीजिए। फिर देखिए  ध्यान के किस महासागर में आप प्रवेश कर जाते हैं। 

नोट- यह आपार हर्ष का विषय है कि, हमने अपने पूर्व सूचना के मुताबिक त्राटक ज्ञान के साथ सम्मोहन, वशीकरण, कुंडलिनी जागरण का 30 से 45 दिनों का विशेष कोर्स जारी कर दिया है। इस दुर्लभ त्राटक सम्मोहन कोर्स को अनेक प्रांतों के भाई बंधु और शुभचिंतक लगन पूर्वक कर रहे हैं। अतः मंगल कामना हैं इनकी सफलता के लिए तथा आपके लिए हार्दिक कामना है आपके आगमन के लिए। क्योंकि आप दुनिया से बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं परन्तु ऐसा अद्भुत और दुर्लभ ज्ञान कहीं और से प्राप्त करना बहुत ही कठिन है। नामुमकिन भी मान लीजिये। इस सम्बन्ध में किसी भी जानकारी के लिएआप बेहिचक हमें फोन कर सकते हैं। आपको हमारा भरपूर सहयोग प्राप्त होगा, भरोसा रखें।      
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अतः आप दुनिया को हैरत में डालने वाला सम्मोहन शिक्षा प्राप्त करना चाह्ते हैं तो हमारे नम्बर पर फ़ोन कर सकते हैं.9565120423 - अशोक भैया, गोरखपुर, ऋषिकेश, हरिद्वार, दिल्ली, इसी के साथ - मंगल कामनाओं सहित- अशोक भैया 
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                       धन्यवाद !             -अशोक श्री                      9565120423   दिल्ली, ऋषिकेश 

Sunday, 10 February 2013

फेंगसुई वास्तु शास्त्र


                लक्की कार्ड करे कमाल 

          चाइनीज वास्तु शास्त्र  में तुरंत लाभ देने वाली अनेक चर्चित सामग्रियां है। जैसे- लक्की कार्ड, लक्की कोइन, पिरामिड कवच, एजुकेशन टावर, लक्की कैट, बम्बू प्लांट, विंड चैम पाकुआ दर्पण, लाफिंग बुधा, तीन  पैरों का मेढक, नवरत्न माला, करामाती कछुआ, मिस्ट्रिक नॉट, क्रिस्टल बाल, क्रिस्टल लोकेट, इत्यादि। जिसमें आज सिर्फ लक्की कार्ड और नवरत्न माला के बारे में चर्चा कर रहा हूँ।
             
          लक्की कार्ड चीनी पद्धति  से निर्मित लाल रंग के कवर में कई धातुओं से बना एक ऐसा शुभ सामग्री माना  जाता है जिसे अपनी  जेब, या पर्स में रखकर भिन्न भिन्न तरह से लाभ प्रत्यक्ष देखे जा सकते है। लक्की कार्ड की कोई पूजन विधि नहीं है, इसका नित्य दर्शन ही किसी के लिए भी शुभ सफलतादायक माना जाता है। यदि कोई विद्द्यार्थी लक्की कार्ड को अपनी  जेब, पर्स या वस्ते में  रखे तो उसे पढाई में अभूतपूर्व सफलता मिलती है। इंटरवीउ  इक्जाम के लिए तो यह औजार कहा जाता है।  
            
         कोई व्यवसायी रखता है तो अपने किसी भी व्यवसाय में दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करता है। कोई सर्विस पेशा वाला व्यक्ति रखता है तो सर्विस में निश्चित तरक्की होती है। कोई कलाकार रखता है तो उसे जीवन में भारी सफलता मिलकर ही रहती है। किसी को कोई सक्षातकार में जाना हो तो लक्की कार्ड लेकर जाए, सफलता 90 प्रतिशत निश्चित हुई रहती है। अर्थात कोई भी महिला पुरुष लक्की कार्ड का लाभ अपनी आँखों से देख सकता है। लक्की कार्ड मुख्यतः टेन्सन, दुर्घटना, बीमारी को आपसे दूर तो करता ही है तथा धारणकर्ता को हर तरह से लाभ में रखते हुए अच्छे लोगों से मुलाकात कराता है।  
              
           लक्की कार्ड फेंगसुई की सही सेंटरों से उपलब्ध हो जाती है मै चाहूँगा इसे हर कोई प्रयोग करके अजीबो गरीब चमत्कार देखे। कार्ड शुद्ध रूप से सिद्ध किया होना चाहिए ताकि उसका लाभ पूरा पूरा मिले। इसे रखने के लिए कोई नियम परहेज नहीं है। लक्की कार्ड को कोई भी कभी भी प्राप्त करके सम्पूर्ण लाभ उठा सकता है। कई लोग इसके लाभ को चमत्कार मानने लगते है तथा प्रभावित होकर दूसरों को उपहार के रूप में देना अपना भाग्य मानते है।   

                        नवरत्न माला नव कामनाओं में अदभुत  

             नवरत्न माला गले में धारण करने के लिए होता है। यह 9 प्रकार के रत्न उपरत्नों  से बना देखने में सुन्दर माला  होता है। इसमें मोती, मूंगा, पन्ना, लहसुनिया आदि कुल 9 तरह के रंग-बिरंगे बहुमूल्य पत्थर लगे होते है। इसके धारण से आपके सभी ग्रह बैलेंस में होने लगते है। इसी कारण समस्त वाधाएं ख़त्म होने लगती है। जीवन में अच्छे मित्र बनते हैं। सामाजिक सम्मान प्राप्त होने लगता है। कर्ज से छुटकारा मिलने का समय आ जाता है। सर्विस और विजनेस में भारी तरक्की होने लगती है। इसके धारण से दूसरों को शीघ्र सम्मोहित करना आसान हो जाता है। क्योंकि माला गले में धारण करते ही चुम्बकीय अहसास होता है। यही कारण है कि किसी के द्वारा किया कराया गया तंत्र मंत्र का संदेह भी ख़त्म हो जाता है। 
             
         अर्थात हर सूरत में  नवरत्न माला आपके जीवन को रोशन करने में इतना पावरफुल बन जाता है कि लोगों में काना  फूसी शुरू  जाती है, ऐसा कॊन सा चमत्कार हो गया है। अतः लक्की कार्ड और नवरत्न माला एक दूसरे का पूरक है। जिसे कोई भी पुरुष या स्त्री प्राप्तकर अपने सोए हुए भाग्य को जगा  सकता है। चूँकि ये सामग्रियां श्रेष्ठ समय में पूरे विधि विधान से सिद्ध की गई होती है, ताकि इसके प्रयोग करने के 24 घंटे में परिणाम सामने दिखे। आप इसे प्रयोग करके प्रभाव देख सकते  है। 
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अतः आप दुनिया को हैरत में डालने वाला सम्मोहन शिक्षा प्राप्त करना चाह्ते हैं तो हमारे नम्बर पर फ़ोन कर सकते हैं.9565120423 - अशोक भैया, गोरखपुर, ऋषिकेश, हरिद्वार, दिल्ली, इसी के साथ - मंगल कामनाओं सहित- अशोक भैया 
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Tuesday, 5 February 2013

वास्तु दोष उपाय

          वास्तु  दोष  अचूक  सलाह 
         
           आज पूरी दुनिया में वास्तु शास्त्र  चर्चा का विषय बना हुआ है। अभी कुछ समय ही पहले तक बहुतेरे लोग इसे तंत्र मंत्र या पेचीदा ज्योतिष समझा करते थे कितु अब इसके प्रचार-प्रसार और  आधुनिकी करण के कारण वैज्ञानिक महत्व देने लगे हैं। और यह सच भी है कि, वास्तु शास्त्र शुद्ध रूप से वैज्ञानिक पद्धति है, जो अपने निश्चित दिशाओं के अनुरूप ही शौचालय, रसोई घर , पूजा कक्ष, सिढ़ी, मुख्यद्वार आदि का निर्माण होता है तो वहां सुख, शांति, समृद्धि का आगमन होता ही है। 
            
         जब किसी मकान या  स्थान में वास्तु दोष होता है तो वहां दोष के अनुसार ही नकारात्मक परिणाम देखने को मिलते है। अतः आप जब भी मकान का निर्माण कराएं तो किसी वास्तु विद या वास्तु शास्त्र के अनुभवी व्यक्ति का परामर्श अवश्य लें ताकि जो निर्माण हो, वहां रहने वाले लोगों में सुख शांति और तरक्की लगातार बनी रहे। प्रायः निर्माण हो चुके मकान, व्यवसायिक स्थल या कार्यालय में यदि वास्तु दोष का संदेह है तो वास्तु अनुभवी की सलाह सकारात्मक हो सकता है। 
              
         क्योंकि  वास्तु दोष का  अर्थ हमेशा भिन्न भिन्न समस्याओं से घिरे रहना होता है तथा वास्तु दोष मुक्ति का अर्थ है तरक्की पर तरक्की करते चले जाना। तनाव का दूर होना, सुख समृद्धि की वर्षा  होते रहना। ऐसा घर या स्थान निश्चित रूप से मंदिर तुल्य ही माना  जाता है। वास्तु दोष के सम्बन्ध में मै  कुछ सुझाव दे रहा हूँ, इसे अपनाएँ  तो निश्चित ही परिणाम देखकर हैरान रह जाएँगे। कभी कभी ऐसा भी होता है की यकीन नहीं होता कि, इस सुखद परिणाम का कारण क्या है। क्योंकि हर कार्य में हर बार सफलता ही मिलने लगती है।
               
                                     वास्तु दोष से मुक्ति के 6 उपाय 

1-          अपने मकान  के सबसे उपरी हिस्से पर दक्षिण  की दिवार को सबसे ऊँचा रखें। यदि संभव न हो तो दक्षिण पश्चिम कोने में एक पाइप  लगाकर ऊँचा करें और उसमें सात रंगों वाला झंडा लगा दें। 

2-           भूमि या कमरे के पूर्व उत्तर कोने  में किसी पात्र में 4 से 5  लीटर पानी रखें और रोज उसे बदलें इससे लक्ष्मी का आगमन बना रहेगा। 

3-           लैट्रिन/शौचालय को कभी भी दक्षिण पश्चिम से उत्तर पश्चिम तक में निर्माण कराए किन्तु उसका टैंक उत्तर पश्चिम में ही करें। यदि निर्माण इससे भिन्न हो चुका है तो लैट्रिन/शौचालय के अन्दर किसी प्याली में 200 ग्राम नमक ऐसी जगह रखें जो भिगे न और उसके दरवाजे पर दहाड़ते हुए शेर का चित्र चिपकादें । लैट्रिन/शौचालय का दरवाजा प्रायः बंद  ही रखा जाना हितकर होता है। 

4-           पूर्व उत्तर दिशा और पूर्व दक्षिण दिशा हमेशा साफ सुथरा रखें और पूर्व दक्षिण के कोने में एक प्लेट रखें, उसमें फूल  की कुछ पंखुड़ी  बिखेर दें, उसके ऊपर उलटा करके एक गिलास रखें, गिलास के ऊपर सरसों तेल का दीपक जलाएं ऐसा लगातार 43 दिन सूर्य डूबने के बाद करें। इसका परिणाम आश्चर्यजनक ही दिखेगा। 

5-           किसी भी मकान  में सीढ़ी / जीना का निर्माण दक्षिण से पश्चिम की ओर जाते हुए ही शुभ माना  जाता है। जिने के नीचे  कोई कार्य नहीं होना चाहिए बल्कि वहां चीजें किसी डब्बे या कार्टून में करके रख दें। किसी कारण  ऐसा नहीं है तो अपने छत्त के ऊपर पूर्व उत्तर के कोने में एक  में तुलसी का पौधा लगादें और उसमें रोज सुबह जल डाला  करें। इसका परिणाम शांति समृधि में हाथों हाथ मिलेगा।

6-           यदि आपके मकान  के अन्दर से  जल का निकास दक्षिण दीवार से होकर  है तो यह अफसोसजनक स्थिति है, इससे लक्ष्मी का नुक्सान होता ही रहेगा किन्तु लक्ष्मी को प्रसन्न करने का भी उपाय हो तो चिन्ता  करने की आवश्यकता नहीं होती। इसके लि सायं को पहली रोटी गाय  को खिलाएं और आखरी रोटी कुत्ते को दें। माह में 6 बार भी ऐसा करते है तो लक्ष्मी प्रसन्न रहती ही हैं।

विशेष-  वास्तु दोष एक चर्चित प्रकरण बन चुका है। कुछ तो ऐसे भी दोष होते हैं जो सामान रखने की वजह से तत्काल पैदा होते रहते हैं तथा होने  वाले कारणों का भी पता नहीं चल पता है। अतः उपरोक्त 6 सलाह जो लिखा  है उनका अनुसरण करें निश्चित रूप से वास्तु दोष मुक्ति के लिए यह कारगर सूत्र होगा। इसका परिणाम हैरान भी कर सकता है। आप चाहे तो फोन करके वास्तु समस्या परामर्श ले है, सही और सटीक   उपाय  बता दिया जाएगा। 
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(नोट- यह आपार हर्ष का विषय है कि, हमने अपने पूर्व सूचना के मुताबिक त्राटक ज्ञान के साथ सम्मोहन, वशीकरण, कुंडलिनी जागरण का 30 से 45 दिनों का विशेष कोर्स जारी कर दिया है। इस दुर्लभ त्राटक सम्मोहन कोर्स को अनेक प्रांतों के भाई बंधु और शुभचिंतक लगन पूर्वक कर रहे हैं। अतः मंगल कामना हैं इनकी सफलता के लिए तथा आपके लिए हार्दिक कामना है आपके आगमन के लिए। क्योंकि आप दुनिया से बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं परन्तु ऐसा अद्भुत और दुर्लभ ज्ञान कहीं और से प्राप्त करना बहुत ही कठिन है। नामुमकिन भी मान लीजिये। इस सम्बन्ध में किसी भी जानकारी के लिएआप बेहिचक हमें फोन कर सकते हैं। आपको हमारा भरपूर सहयोग प्राप्त होगा, भरोसा रखें।    

अतः आप दुनिया को हैरत में डालने वाला सम्मोहन शिक्षा प्राप्त करना चाह्ते हैं तो हमारे नम्बर पर फ़ोन कर सकते हैं.9565120423 - अशोक भैया, गोरखपुर, ऋषिकेश, हरिद्वार, दिल्ली, इसी के साथ - मंगल कामनाओं सहित- अशोक भैया 
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